મંગળવાર, 18 જૂન, 2019

महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मन्त्र का  रहस्य ...

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकम् इव बन्धनात् मृत्योः  मुक्षीय मा अमृतात्॥

अर्थात्
समस्त संसार के पालनहार
तीन नेत्रों वाले शिव की
हम आराधना करते हैं।
विश्व में सुरभि फैलाने वाले
भगवान् शिव,हमें मृत्यु से
मुक्ति दिलाएं ना कि मोक्ष से ।

यह जान लें कि, इस मंत्र मे प्रयुक्त हर शब्द ... यथा

त्रयम्बकं = त्रैलोक्य शक्ति,
यजा= सुगन्धात शक्ति,
महे =माया शक्ति,
सुगन्धिम् =सुगन्धि शक्ति,
पुष्टिम्=पुरन्दिरी शक्ति,
वर्धनम् =वंशकरी शक्ति,
उर्वा =ऊर्ध्दक शक्ति,
रुकम्= रुक्तदवती शक्ति,
इव= रुक्मावती शक्ति,
बन्धनात्=बर्बरी शक्ति,
मृत्योः =मन्त्रवती शक्ति,
मुक्षीय =मुक्तिकरी शक्ति,
मा = महाकालेश शक्ति 
अमृतात् = अमृतवती शक्ति .....   के द्योतक है ।
                 
इसी प्रकार प्रत्येक वर्ण की अलग-अलग शक्ति भी होती है ।

मन्त्र ध्वनि से उठने वाली आवृत्ति इतनी शक्तिप्रद होती है , जो कि रोगी या पीड़ित व्यक्ति को नीरोग करती है । इसलिए यह मंत्र को महा मृत्यन् जय  कहा गया है

यहाँ  मंत्र के सही उच्चारण हेतु संधि विग्रह करके शब्द लिखे गए है,   उच्चारण सही हो तो  उसकी ध्वनि से जो आवृति उत्पन्न होती है उसके ही प्रभाव से  कॉस्मिक इलेकट्रो मैग्नेटिक तरंग से  शरीर मे उर्जा पैदा होती है ।

                            ॐ नमः शिवाय

ટિપ્પણીઓ નથી:

નવરાત્ર-2 માઁ દુર્ગાના નવ સ્વરૂપ...

પ્રથમ નવરાત્રમાં માઁ નું સ્વરૂપ "શૈલપુત્રી" નું છે. જેમની કથા પર્વતરાજ  હિમાલયના પુત્રી સાથે જોડાયેલ  છે. માઁ નું આ સ્વરૂપ ભગવાન શ...