● Infant's Diarrhoea.
आप चावल का मंड जीरक हिंगु भूनकर mix कर के दिन में तीन चार बार दे, fresh गंगाधर चूर्ण अनार के seeds crush कर के जूस निकाले और मिक्स कर के दे साथे थोड़ा काला नमक add करें और तीन बार दे, आजकल ऐसी समस्या बहुत बच्चों को है और अधिकतर में दूसरे दिन से है stool की formation और frequency ठीक होने लगती है।
हमने कई वर्ष स्वयं hybrid vegetable पर कार्य किया तो result ये मिला कि gall stone का सब से बडा reason 12 months मिलने वाला टमाटर है जिसे हर meal में प्रयोग किया जा रहा है, सुबह tomato ketchup से dinner तक किसी ना किसी रूप में प्रयोग हो रहा है।
मुझे एक घटना याद आती है एक रोगी जो अपने घर में किसी के शराब पीने की लत से बहुत परेशान थी मुझसे कोइ निराकरण का उपाय चाहती थी मैंने उससे जटामांसी सूखी एक डिबी मे रखकर दिया और कहा रोगी के बिसतर के पास रख देना किसी को न बताना न ही मैंने किसी को बताया और न ही कोई पैसा लिया था लेकिन आश्चर्य की रोगी ने शराब छोड़ दी थी।
CT brain accute or chronic infarction में भल्लातक का प्रयोग शीघ्र परिणाम देता है, BP 130/56 normal करने के लिये और bradycardia के लिये अकरकरा चूर्ण + पुष्करमूल चूर्ण + श्रंग भस्म + वंशलोचन मिलाकर दिन में दो बार भोजन से एक घंटा पूर्व शर्बत अनार में मिक्स कर के दें। साथ में सब से प्रमुख है regular दीपन-पाचन-अनुलोमन, अगर ये तीनो रहते हैं तो चिकित्सा काल में कभी कोई नये complications नही आते और recovery शीघ्र होती है। coconut water और watermelon juice इनमें भी नारियल पानी कोई उपद्रव नही आने देता, फिर हम नाड़ी में पित्त की sharp ness देख कर ही औषध लिखते है, साथ ही जिन्हे भल्लातक थोड़ी मात्रा में ही दिया जाये उन्हे उष्ण एवं अति अम्ल आहार, आतप सेवन मना कर देते हैं।
सर्पगंधा भी कई रोगियों में bradicardia करती है।
Sarpgandha consist Reserpine. Which is an adrenergic blocker which inhibit sympathetic activity results in reduced heart rate.
ज्वर की तीव्रता मे ( temp more than 103° F.) नाभि स्थान में ताम्रपात्र मे शितल जल या बर्फ रखने से ज्वरवेग सत्वर कम होता है।
अकेला कूष्मांड स्वरस 50 ml+1 gm प्रवाल पिष्टी + 2 tsp रूहअफजा हमारी practice का एक part है, best पित्त शामक, आमाश्य व्रण रोपक है, गुलकंद हम लोगों को सिखा देते हैं कि घर में कैसे बनायें और फिर उसमें प्रवाल भस्म मिला कर रख लें, ये भी सर्वोत्तम औषध/आहार है। शीत वीर्य, पित्त नाशक और छोटे बच्चे भी आराम से खा लेते है, पूरी गर्भावस्था में हम गर्भिणी को यही खिलाते है, उत्क्लेश, छर्दि, शिर:शूल, विबंध नही होता गुलकंद से। कूष्मांड का स्वरस निकालना जैसे कार्य हम रोगियों से ही करवाते है, इस से एक तो वो अपने लिये परिश्रम करना सीखते हैं, अपने परिश्रम से निकाले स्वरस का सेवन पर मनोभाव अलग ही होता है जो शब्दों से बाहर है और इसी बहाने आयुर्वेद से वो जुड़ जाता है
बिना किसी adultration के fresh स्वरस कोई हानि नही देता और बिना मधुर रस मिलाये DM रोगी भी आराम से ले सकता है। सर्व प्रथम भाव होता है जो विचारों में परिवर्तित होता है और फिर विचारों के अनुसार शरीर क्रिया करता है अर्थात action mode में आता है, भाव सही है तो मां का हाथ प्रेम बनकर स्नेह से सिर पर होता है और भाव अनुचित अर्थात क्रोध का होगा तो वही मां का हाथ थप्पड़ बन जाता है, एक भाव सुख बन गया और एक दुख।
असली आयुर्वेद तो जमीन की मिट्टी में है, fruit & vegetable market में है, नदी नालों के पास या खेतों में है, जंगलो में है, जो इनमें जाना सीख जायेगा वो ही असली आयुर्वेद को जान सकता है। असल में हमारी इच्छा यही रहती है कि रोगियों की kitchen को ही dispensary बना दिया जाये। रोग प्राय: kitcen से ही आ रहे है वो घर की हो या restaurant की। हमारे यहां अधिकतर रोगी पथ्य, आहार और इन्ही तरीकों से ठीक होते है, औषधि का role तो बाद में है।
allergy कहां कि सर ? skin or chest . नानात्मज पित्तज विकार जैसा हि है ।
सुदर्शन घन वटी और गुडूची घन वटी हमारा best combination है immunity बढ़ी रहती है, platelets भी बढा़ देते हैं.
हम संजीवनी वटी बिना वत्सनाभ भी बनाते है, वत्सनाभ निकालते ही यह सभी को सात्म्य हो जाती है। हमारे यहां सब से अधिक प्रयोग स्त्रियों में होता है विशेषकर pcod,ut.fibroids,hypothyroidism etc. और जो विदेशी नागरिक आते है उन्हे भी वत्सनाभ निकालते ही सात्म्य हो जाती है, बिना वत्सनाभ की हमारे मित्र चाहें तो मेरे यहां से ले सकते है।
fermented दही तक्र लस्सी breads नान pizza etc. & tomatoe puri से भी s.cr. increase होता है।
जामनगर में 1983 में डॉ तिवारी जी ने मधुमेह पर शिलाजीत का प्रयोग रस शास्त्र में थीसिस लिखी गई थी तो डॉ. पाण्डेय जी ने इस प्रकरण को विस्तार से बताया था।
पलाश अर्क को मधुमेह में हमने प्रयोग किया है और group में हम पहले लिख भी चुके हैं वैद्य विश्वनाथ द्विवेदी जी ने वैद्य सहचर में इसका उल्लेख किया है, कुछ समय के लिये hypoglycemic effect temporary कुछ रेगियों में मिलता है बाकी हम इसे fail सिद्ध कर चुके है।
शास्त्रानुसार चिकित्सा रोग के मूल तक पहुंच कर मूल से ही रोग को नष्ट करती है जिस से पुन: उद्भव की संभावना नही रहती, इसीलिये हम कहते हैं रोग के फार्मूले मत ढूंडिये रोग के मूल को जानो। रोग के मूल,सम्प्राप्ति घटक को समझना और उसका विघटन ही चिकित्सा है ये कार्य होते ही बाकी मार्ग सरल हो जाता है, आयुर्वेद में एक परिवर्तन की आवश्यकता है जो वर्तमान के साथ चलने के लिये आवश्यक है क्योंकि नये लोग सभी विज्ञान और technology के साथ जुड़े हुये है और आयुर्वेद में केवल बातें नही कार्य ही बोलेगा जो आपने किया है वो चाहे सफल हो या असफल, असफलता भी महत्वपूर्ण है वो अनुभव देती है। कोई भी member अपने काम को प्रमाण सहित before & after treatment investigation reports सहित present करे तो अच्छा है, आयुर्वेद में अगर विद्वान चर्चा के साथ प्रमाण सहित अपने विचार रखें तो आयुर्वेद का उद्धार अधिक होगा।
जब मेरे यहां इस तरह की शास्त्रोक्त आयुर्वेद practice से rate of result 99% सफलता से मिलता है तो आप लोगों को भी अवश्य मिलेगा और जो लोग मेरे इस मार्ग पर चल रहे हैं उन्हे मिल भी रहा है। आप सभी आयुर्वेद के शास्त्रों को समझें और ऋषि प्रणीत इस मार्ग पर चले और सफल रहे यही आशा करता हूं।
- वैद्यराज सुभाष शर्मा MD (Ayu) नई दिल्ली - 34
आप चावल का मंड जीरक हिंगु भूनकर mix कर के दिन में तीन चार बार दे, fresh गंगाधर चूर्ण अनार के seeds crush कर के जूस निकाले और मिक्स कर के दे साथे थोड़ा काला नमक add करें और तीन बार दे, आजकल ऐसी समस्या बहुत बच्चों को है और अधिकतर में दूसरे दिन से है stool की formation और frequency ठीक होने लगती है।
हमने कई वर्ष स्वयं hybrid vegetable पर कार्य किया तो result ये मिला कि gall stone का सब से बडा reason 12 months मिलने वाला टमाटर है जिसे हर meal में प्रयोग किया जा रहा है, सुबह tomato ketchup से dinner तक किसी ना किसी रूप में प्रयोग हो रहा है।
मुझे एक घटना याद आती है एक रोगी जो अपने घर में किसी के शराब पीने की लत से बहुत परेशान थी मुझसे कोइ निराकरण का उपाय चाहती थी मैंने उससे जटामांसी सूखी एक डिबी मे रखकर दिया और कहा रोगी के बिसतर के पास रख देना किसी को न बताना न ही मैंने किसी को बताया और न ही कोई पैसा लिया था लेकिन आश्चर्य की रोगी ने शराब छोड़ दी थी।
CT brain accute or chronic infarction में भल्लातक का प्रयोग शीघ्र परिणाम देता है, BP 130/56 normal करने के लिये और bradycardia के लिये अकरकरा चूर्ण + पुष्करमूल चूर्ण + श्रंग भस्म + वंशलोचन मिलाकर दिन में दो बार भोजन से एक घंटा पूर्व शर्बत अनार में मिक्स कर के दें। साथ में सब से प्रमुख है regular दीपन-पाचन-अनुलोमन, अगर ये तीनो रहते हैं तो चिकित्सा काल में कभी कोई नये complications नही आते और recovery शीघ्र होती है। coconut water और watermelon juice इनमें भी नारियल पानी कोई उपद्रव नही आने देता, फिर हम नाड़ी में पित्त की sharp ness देख कर ही औषध लिखते है, साथ ही जिन्हे भल्लातक थोड़ी मात्रा में ही दिया जाये उन्हे उष्ण एवं अति अम्ल आहार, आतप सेवन मना कर देते हैं।
सर्पगंधा भी कई रोगियों में bradicardia करती है।
Sarpgandha consist Reserpine. Which is an adrenergic blocker which inhibit sympathetic activity results in reduced heart rate.
ज्वर की तीव्रता मे ( temp more than 103° F.) नाभि स्थान में ताम्रपात्र मे शितल जल या बर्फ रखने से ज्वरवेग सत्वर कम होता है।
अकेला कूष्मांड स्वरस 50 ml+1 gm प्रवाल पिष्टी + 2 tsp रूहअफजा हमारी practice का एक part है, best पित्त शामक, आमाश्य व्रण रोपक है, गुलकंद हम लोगों को सिखा देते हैं कि घर में कैसे बनायें और फिर उसमें प्रवाल भस्म मिला कर रख लें, ये भी सर्वोत्तम औषध/आहार है। शीत वीर्य, पित्त नाशक और छोटे बच्चे भी आराम से खा लेते है, पूरी गर्भावस्था में हम गर्भिणी को यही खिलाते है, उत्क्लेश, छर्दि, शिर:शूल, विबंध नही होता गुलकंद से। कूष्मांड का स्वरस निकालना जैसे कार्य हम रोगियों से ही करवाते है, इस से एक तो वो अपने लिये परिश्रम करना सीखते हैं, अपने परिश्रम से निकाले स्वरस का सेवन पर मनोभाव अलग ही होता है जो शब्दों से बाहर है और इसी बहाने आयुर्वेद से वो जुड़ जाता है
बिना किसी adultration के fresh स्वरस कोई हानि नही देता और बिना मधुर रस मिलाये DM रोगी भी आराम से ले सकता है। सर्व प्रथम भाव होता है जो विचारों में परिवर्तित होता है और फिर विचारों के अनुसार शरीर क्रिया करता है अर्थात action mode में आता है, भाव सही है तो मां का हाथ प्रेम बनकर स्नेह से सिर पर होता है और भाव अनुचित अर्थात क्रोध का होगा तो वही मां का हाथ थप्पड़ बन जाता है, एक भाव सुख बन गया और एक दुख।
असली आयुर्वेद तो जमीन की मिट्टी में है, fruit & vegetable market में है, नदी नालों के पास या खेतों में है, जंगलो में है, जो इनमें जाना सीख जायेगा वो ही असली आयुर्वेद को जान सकता है। असल में हमारी इच्छा यही रहती है कि रोगियों की kitchen को ही dispensary बना दिया जाये। रोग प्राय: kitcen से ही आ रहे है वो घर की हो या restaurant की। हमारे यहां अधिकतर रोगी पथ्य, आहार और इन्ही तरीकों से ठीक होते है, औषधि का role तो बाद में है।
allergy कहां कि सर ? skin or chest . नानात्मज पित्तज विकार जैसा हि है ।
सुदर्शन घन वटी और गुडूची घन वटी हमारा best combination है immunity बढ़ी रहती है, platelets भी बढा़ देते हैं.
हम संजीवनी वटी बिना वत्सनाभ भी बनाते है, वत्सनाभ निकालते ही यह सभी को सात्म्य हो जाती है। हमारे यहां सब से अधिक प्रयोग स्त्रियों में होता है विशेषकर pcod,ut.fibroids,hypothyroidism etc. और जो विदेशी नागरिक आते है उन्हे भी वत्सनाभ निकालते ही सात्म्य हो जाती है, बिना वत्सनाभ की हमारे मित्र चाहें तो मेरे यहां से ले सकते है।
fermented दही तक्र लस्सी breads नान pizza etc. & tomatoe puri से भी s.cr. increase होता है।
जामनगर में 1983 में डॉ तिवारी जी ने मधुमेह पर शिलाजीत का प्रयोग रस शास्त्र में थीसिस लिखी गई थी तो डॉ. पाण्डेय जी ने इस प्रकरण को विस्तार से बताया था।
पलाश अर्क को मधुमेह में हमने प्रयोग किया है और group में हम पहले लिख भी चुके हैं वैद्य विश्वनाथ द्विवेदी जी ने वैद्य सहचर में इसका उल्लेख किया है, कुछ समय के लिये hypoglycemic effect temporary कुछ रेगियों में मिलता है बाकी हम इसे fail सिद्ध कर चुके है।
शास्त्रानुसार चिकित्सा रोग के मूल तक पहुंच कर मूल से ही रोग को नष्ट करती है जिस से पुन: उद्भव की संभावना नही रहती, इसीलिये हम कहते हैं रोग के फार्मूले मत ढूंडिये रोग के मूल को जानो। रोग के मूल,सम्प्राप्ति घटक को समझना और उसका विघटन ही चिकित्सा है ये कार्य होते ही बाकी मार्ग सरल हो जाता है, आयुर्वेद में एक परिवर्तन की आवश्यकता है जो वर्तमान के साथ चलने के लिये आवश्यक है क्योंकि नये लोग सभी विज्ञान और technology के साथ जुड़े हुये है और आयुर्वेद में केवल बातें नही कार्य ही बोलेगा जो आपने किया है वो चाहे सफल हो या असफल, असफलता भी महत्वपूर्ण है वो अनुभव देती है। कोई भी member अपने काम को प्रमाण सहित before & after treatment investigation reports सहित present करे तो अच्छा है, आयुर्वेद में अगर विद्वान चर्चा के साथ प्रमाण सहित अपने विचार रखें तो आयुर्वेद का उद्धार अधिक होगा।
जब मेरे यहां इस तरह की शास्त्रोक्त आयुर्वेद practice से rate of result 99% सफलता से मिलता है तो आप लोगों को भी अवश्य मिलेगा और जो लोग मेरे इस मार्ग पर चल रहे हैं उन्हे मिल भी रहा है। आप सभी आयुर्वेद के शास्त्रों को समझें और ऋषि प्रणीत इस मार्ग पर चले और सफल रहे यही आशा करता हूं।
- वैद्यराज सुभाष शर्मा MD (Ayu) नई दिल्ली - 34
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