મંગળવાર, 10 સપ્ટેમ્બર, 2019

श्री सुभाष वाणी १

रोग व  रोगी के बिना विस्तृत विवरण - history, 
आयुर्वेदीय चिकित्सा नही हो सकती...

रोगी परीक्षण के forms जो जामनगर के है,  
वह वैद्य को,
रोगीका आयुर्वेद अनुसार विस्तारसे diagnosis करने हेतु  दिए गए है ।

Allopathy अधिकांश symptomatic है । 
एलोपथीकी तरह के, आयुर्वेदचिकित्सा के formulations से आप दो-चार रोगी तो ठीक कर सकते हैं, पर आपको सभी रोगियोंकी चिकित्सा में  confidence नही आयेगा।

आयुर्वेद की चिकित्सा,
रुगण व रोगकी हिस्ट्री के अनुसार,  
दोष- दूष्य, स्रोतस, सम्प्राप्ति, चिकित्सासूत्र, पथ्य अपथ्य, दिनचर्या और औषध आदि पर आधारित होती है, जिसमें हम वर्तमान कालखंड को ध्यान मे लेते हुए, investigations को भी  साथ ले कर चलते है, 
जो की रोग निदान में सहायक रहते है ।

आयुर्वेद चिकित्सा मे,
हम क्या दें और क्यों दे ? 
यह नितांत  चिंतनीय है ।

किसीके नुस्खे अपना कर,  
बिना परिश्रम के औषध देना, 
आयुर्वेद के पतन का कारण है, 

हमारे आयुर्वेद शास्त्रके  अपने चिकित्सा सिद्धान्त है, 
जिसे कोई अन्य पैथी चैलेन्ज नही कर सकती ।

आयुर्वेद शाश्वत है,  तभी भी
और आज भी  चल रहा है, 
तब तक चलता रहेगा, जब तक वैद्य इसके सिद्धान्तों के अनुसार हि चिकित्सा करेंगे, न की नुस्खे पे ।

आयुर्वेद वालों के परिश्रम ना करने की जरा सी चूक से 
आज आयुर्वेद के नाम पर 'हर्बल' शाखा पैदा हो गई है, 
यह हर्बल शाखा  आयुर्वेद को खा रही है, 
और नाम भी शाश्वत आयुर्वेद का हि बदनाम हो रहा है।
          -- वैद्यराज सुभाष शर्मा  MD Ayu. दिल्ली -34.

ટિપ્પણીઓ નથી:

નવરાત્ર-2 માઁ દુર્ગાના નવ સ્વરૂપ...

પ્રથમ નવરાત્રમાં માઁ નું સ્વરૂપ "શૈલપુત્રી" નું છે. જેમની કથા પર્વતરાજ  હિમાલયના પુત્રી સાથે જોડાયેલ  છે. માઁ નું આ સ્વરૂપ ભગવાન શ...