वैद्य सुभाष शर्मा: case presentaion -
मूत्रवाही स्रोतोदुष्टि ( prostatomegaly) की आशुकारी आयुर्वेदीय चिकित्सा व्यवस्था।
शकृन्मार्गस्य बस्तेश्च वायुरन्तरमाश्रित:।अष्ठीलाभं घनं ग्रन्थिं करेत्यचलमुन्नतम्। वाताष्ठीलेऽति साऽऽध्मानतविण्मूत्रानिलसंगकृत।।अ ह नि 9/23
अर्थात मल तथा मूत्रमार्ग मध्य स्थित अपानवायु पत्थर ढेला सदृश स्थिर ऊंची ग्रन्थि बना देता है, जिससे उदर आध्मान,मल,मूत्र, अपान वात प्रवृत्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
चरक अनुसार ‘मूत्रकृच्छ: स य: कृच्छ्रान्मूत्रयेद्..’ अर्थात कष्ट पूर्वक मूत्र त्याग करता है और मूत्राघात पर विजयरक्षितजी की टीका माधव निदान में कहा है ‘मूत्रकृच्छ मूत्राघात तयोश्चायं विशेष: मूत्रकृच्छ्रे।
कृच्छ्रलमतिशयितं ईषद विबन्ध: मूत्राघाते कु विबन्धो बलवानं कृच्छ्रत्वमल्पमिति
अर्थात मूत्रकृच्छ्र में मूत्र कष्ट पूर्वक होता है पर मूत्राघात में आता ही नही
शास्त्र से सूत्र मिले हमने उनका विस्तार कर रोगी में prostate enlargement के सम्प्राप्ति घटक बनाये और चिकित्सा सूत्र निर्धारित कर औषध दी तो परिणाम आशा से अधिक मिले।
enlargement of prostate की चिकित्सा प्राय: 3-6 महीने तक चलती है और पूर्ण लाभ मिल जाता है, पर इस रोगी में हमने गंभीर चिन्तन कर के जो सम्प्राप्ति विघटन किया तो मात्र 28 दिन में ही रोगी स्वस्थ हो गया और rt. ureter की 11.4 mm अश्मरी को भी शरीर से बिना किसी उपद्रव या अश्मरी जन्य शूल के बाहर कर दिया।
male/age 53 yrs/ farmer
chief complaints - पुन: पुन: मूत्र प्रवृत्ति, रात्रि में 4-5 बार मूत्र त्याग, मूत्र अल्प एवं बूंद बूंद कर आना, रात्रि जागरण से शिरो गुरूता एवं अंग साद, विबंध, आध्मान, CA prostate जन्य भय, कदाचित उदर अधोभाग रूजा।
History of present illness - रोगी को तीन वर्ष से प्रोस्टेट की व्याधि के लक्षण थे जिसकी शल्य क्रिया जनवरी 2018 में की गई थी और पुन: व्याधि लक्षण होने पर अगस्त 2018 में enlarged prostate मिली।
History of past illness - कई वर्ष पूर्व मदात्यय जन्य कामला, जीर्ण कास,युवावस्था से विबंध।
Family History - संधिवात
नाड़ी - वात पित्त, व्यायाम - 30 मिनट भ्रमण,व्यसन - पूर्व में मद्यपान और अब बीड़ी सेवन, त्वक - रूक्ष,मल - विबंध,मूत्र - अल्प एवं अवरोध युक्त, स्वेद - अभाव।
उदर परीक्षण - अधोभाग में दबाने पर वेदना।
सम्प्राप्ति घटक -
दोष - अपान समान वात,पाचक पित्त, क्लेदक कफ
दूष्य - रस,पुरीष और मूत्र
स्रोतस - रस, मूत्र और पुरीषवाही
स्रोतो दुष्टि - संग
उद्भव स्थान - आमाश्य
रोगधिष्ठान - पक्वाश्य
साध्यासाध्यता - कृच्छ साध्य
चिकित्सा सूत्र - पाचन, अनुलोमन, मूत्र शोधन ( मूत्र reaction acidic ना हो इसलिये), शोथध्न, भेदन, मूत्र विरेचन और आवश्यकता पड़ने पर शूलशमन ( इसकी आवश्यकती ही नही पड़ी)
औषध ...
पाषाण भेद,पुनर्नवा,वरूण और गोखरू 100-100 gm यवकुट, इसमें से 10 gm प्रात: 10 gm सांय ले कर क्वाथ बनाकर उसमें लगभग 3 gm सर्जिका क्षार एवं 1 gm हजरूल यहूद भस्म मिलाकर खाली पेट दिया।
गोक्षुरादि गुग्गलु 3-3
कुटकी चूर्ण + हरीतकी चूर्ण 2-2 gm सांय भोजन से आधा घंटा पूर्व।
भोजन के आधा घंटा बाद शिवक्षार पाचन 3 gm+ शुद्ध नौसादर 500 mg+ यवक्षार 2 gm उष्णोदक से*
नित्यानंद रस 2-2
कांचनार गुग्गलु 2-2
अपथ्य - तिल,पालक,टमाटर,बैंगन,अचार,उष्ण तीक्ष्ण पदार्थ, चना,मैदा,अधिक स्निग्ध तैलीय पदार्थ।
पथ्य - प्रतिदिन 1-2 मूली,तोरई,यव का सत्तू, fresh खीरा,लौकी आदि।
चिकित्सा आरंभ की गई 29 अगस्त 2019 से, रोगी के पास usg report थी 25-9-18 की,हमने उसे नया usg कपाने के लिये कहा तो वह भयभीत था कि कहीं कैंसर ना बन गया हो क्योंकि जनवरी में sugery हो चुकी थी।
usg report इस प्रकार रही ...
24-8-18 -- RK middle calyx calculus 15 mm
RT ureter calculus 11.4 mm
PROSTATE - 48/44/38 mm
wt. 39.34 gm
----------------------------------------
25-9-19
RK calculus - 11.6 mm
ureter - no calculus
PROSTATE - 29/33/21 mm
wt. 15 gm
( size & wt. normal मिला)
------------------------------------
कुल चिकित्सा अवधि 28 दिन की रही जिसमें prostate का size,weight तो normal आया ही और 11.4 mm ureter calculus से भी मुक्ति मिली।रोगी का कैंसर भय दूर करने के लिये हमने PSA भी test करा दिया जो within normal range मिला।
संजीवनी में भल्लातक है, इसलिए वह आग्नेय,उष्ण तीक्ष्ण है। रूग्ण का urine alb ++++ और s. cr increased हो तो कभी भी इसे देने की गलती ना करे।
मूत्रवाही स्रोतोदुष्टि ( prostatomegaly) की आशुकारी आयुर्वेदीय चिकित्सा व्यवस्था।
शकृन्मार्गस्य बस्तेश्च वायुरन्तरमाश्रित:।अष्ठीलाभं घनं ग्रन्थिं करेत्यचलमुन्नतम्। वाताष्ठीलेऽति साऽऽध्मानतविण्मूत्रानिलसंगकृत।।अ ह नि 9/23
अर्थात मल तथा मूत्रमार्ग मध्य स्थित अपानवायु पत्थर ढेला सदृश स्थिर ऊंची ग्रन्थि बना देता है, जिससे उदर आध्मान,मल,मूत्र, अपान वात प्रवृत्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
चरक अनुसार ‘मूत्रकृच्छ: स य: कृच्छ्रान्मूत्रयेद्..’ अर्थात कष्ट पूर्वक मूत्र त्याग करता है और मूत्राघात पर विजयरक्षितजी की टीका माधव निदान में कहा है ‘मूत्रकृच्छ मूत्राघात तयोश्चायं विशेष: मूत्रकृच्छ्रे।
कृच्छ्रलमतिशयितं ईषद विबन्ध: मूत्राघाते कु विबन्धो बलवानं कृच्छ्रत्वमल्पमिति
अर्थात मूत्रकृच्छ्र में मूत्र कष्ट पूर्वक होता है पर मूत्राघात में आता ही नही
शास्त्र से सूत्र मिले हमने उनका विस्तार कर रोगी में prostate enlargement के सम्प्राप्ति घटक बनाये और चिकित्सा सूत्र निर्धारित कर औषध दी तो परिणाम आशा से अधिक मिले।
enlargement of prostate की चिकित्सा प्राय: 3-6 महीने तक चलती है और पूर्ण लाभ मिल जाता है, पर इस रोगी में हमने गंभीर चिन्तन कर के जो सम्प्राप्ति विघटन किया तो मात्र 28 दिन में ही रोगी स्वस्थ हो गया और rt. ureter की 11.4 mm अश्मरी को भी शरीर से बिना किसी उपद्रव या अश्मरी जन्य शूल के बाहर कर दिया।
male/age 53 yrs/ farmer
chief complaints - पुन: पुन: मूत्र प्रवृत्ति, रात्रि में 4-5 बार मूत्र त्याग, मूत्र अल्प एवं बूंद बूंद कर आना, रात्रि जागरण से शिरो गुरूता एवं अंग साद, विबंध, आध्मान, CA prostate जन्य भय, कदाचित उदर अधोभाग रूजा।
History of present illness - रोगी को तीन वर्ष से प्रोस्टेट की व्याधि के लक्षण थे जिसकी शल्य क्रिया जनवरी 2018 में की गई थी और पुन: व्याधि लक्षण होने पर अगस्त 2018 में enlarged prostate मिली।
History of past illness - कई वर्ष पूर्व मदात्यय जन्य कामला, जीर्ण कास,युवावस्था से विबंध।
Family History - संधिवात
नाड़ी - वात पित्त, व्यायाम - 30 मिनट भ्रमण,व्यसन - पूर्व में मद्यपान और अब बीड़ी सेवन, त्वक - रूक्ष,मल - विबंध,मूत्र - अल्प एवं अवरोध युक्त, स्वेद - अभाव।
उदर परीक्षण - अधोभाग में दबाने पर वेदना।
सम्प्राप्ति घटक -
दोष - अपान समान वात,पाचक पित्त, क्लेदक कफ
दूष्य - रस,पुरीष और मूत्र
स्रोतस - रस, मूत्र और पुरीषवाही
स्रोतो दुष्टि - संग
उद्भव स्थान - आमाश्य
रोगधिष्ठान - पक्वाश्य
साध्यासाध्यता - कृच्छ साध्य
चिकित्सा सूत्र - पाचन, अनुलोमन, मूत्र शोधन ( मूत्र reaction acidic ना हो इसलिये), शोथध्न, भेदन, मूत्र विरेचन और आवश्यकता पड़ने पर शूलशमन ( इसकी आवश्यकती ही नही पड़ी)
औषध ...
पाषाण भेद,पुनर्नवा,वरूण और गोखरू 100-100 gm यवकुट, इसमें से 10 gm प्रात: 10 gm सांय ले कर क्वाथ बनाकर उसमें लगभग 3 gm सर्जिका क्षार एवं 1 gm हजरूल यहूद भस्म मिलाकर खाली पेट दिया।
गोक्षुरादि गुग्गलु 3-3
कुटकी चूर्ण + हरीतकी चूर्ण 2-2 gm सांय भोजन से आधा घंटा पूर्व।
भोजन के आधा घंटा बाद शिवक्षार पाचन 3 gm+ शुद्ध नौसादर 500 mg+ यवक्षार 2 gm उष्णोदक से*
नित्यानंद रस 2-2
कांचनार गुग्गलु 2-2
अपथ्य - तिल,पालक,टमाटर,बैंगन,अचार,उष्ण तीक्ष्ण पदार्थ, चना,मैदा,अधिक स्निग्ध तैलीय पदार्थ।
पथ्य - प्रतिदिन 1-2 मूली,तोरई,यव का सत्तू, fresh खीरा,लौकी आदि।
चिकित्सा आरंभ की गई 29 अगस्त 2019 से, रोगी के पास usg report थी 25-9-18 की,हमने उसे नया usg कपाने के लिये कहा तो वह भयभीत था कि कहीं कैंसर ना बन गया हो क्योंकि जनवरी में sugery हो चुकी थी।
usg report इस प्रकार रही ...
24-8-18 -- RK middle calyx calculus 15 mm
RT ureter calculus 11.4 mm
PROSTATE - 48/44/38 mm
wt. 39.34 gm
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25-9-19
RK calculus - 11.6 mm
ureter - no calculus
PROSTATE - 29/33/21 mm
wt. 15 gm
( size & wt. normal मिला)
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कुल चिकित्सा अवधि 28 दिन की रही जिसमें prostate का size,weight तो normal आया ही और 11.4 mm ureter calculus से भी मुक्ति मिली।रोगी का कैंसर भय दूर करने के लिये हमने PSA भी test करा दिया जो within normal range मिला।
संजीवनी में भल्लातक है, इसलिए वह आग्नेय,उष्ण तीक्ष्ण है। रूग्ण का urine alb ++++ और s. cr increased हो तो कभी भी इसे देने की गलती ना करे।
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