बाल्यावस्थागत कफावृत उदान
TSH सहित T3,T4 विकृति एवं आयुर्वेदीय व्यवस्था ।
case presentation: वैद्य सुभाष शर्मा 9-9-2019
रूग्ण बालक /9 वर्ष / छात्र / wt. 20.3 kg.
प्रमुख वेदना - गल प्रदेश शोथ, स्वर भंग, विषमाग्नि, विबंध
वर्तमान वेदना वृत्त - लगभग एक वर्ष से आलस्य,गौरव, प्रतिश्याय बार बार, कभी मंदाग्नि एवं कभी अति क्षुधा और भोजन ना मिलने पर क्रोध, 2-3 दिन तक भी कभी मल त्याग ना होना, स्वर गुरूता आदि लक्षण पाये जा रहे थे।
पूर्व व्याधि वृत्त - जब बालक लगभग चार वर्ष का था तो पांडुरोग था।
कुल वृत्त - माता पिता स्वस्थ हैं।
परीक्षण - मात्र गल प्रदेश शोथ।
जैसा कि हमने लिखा था, बाल्यावस्था और वो भी 9 वर्ष में बच्चे विकसित अवस्था में होते है, अत: सार,संहनन,सत्वादि परीक्षा को हम आवश्यकता पड़ने पर ही प्राथमिकता देते हैं।
रोग हेतु - मिथ्या एवं अनियमित आहार जिनमें मैदायुक्त पदार्थ जिनमें भठूरा, pizza,burger, pasta, maggi etc, ice cream, shakes, chocolates आदि का अधिक प्रयोग मिला।
सम्प्राप्ति घटक - दोष: वात - उदान,समान और अपान वात,
पित्त - पाचक पित्त, कफ - क्लेदक और अवलंबक
दूष्य - रस धातु
स्रोतस - रस, मांस और मेद
अग्नि - जाठराग्नि और धात्वाग्नि
दुष्टि - संग
उद्भव स्थान - आमाशय
अधिष्ठान - गल प्रदेश
स्वभाव - कृच्छ साध्य
चिकित्सा सूत्र - पाचन, कंठ्य, अनुलोमन, भेदन, शोथघ्न,।कफ वात शमन और रसायन ।
चिकित्सा योजना :
1.. संजीवनी वटी 1 bd
2.. कांचनार गुग्गलु 1 bd
3.. गुडूची घन वटी 1 bd
4.. आरोग्य वर्धिनी 1 गोली + गौमूत्र हरीतकी 1 गोली रात्रि सोते समय
5.. लवंगादि वटी दिन में दो बार चूसने के लिये।
अभी हमारा पूरा ध्यान TSH सामान्य लाने पर केन्द्रित है,लगभग 22 दिन में इसी चिकित्सा से परिणाम इस प्रकार मिले...
6-8-2019, TSH 163.84 uIU/ml
30-8-2019, TSH 57.21 uIU/ml
रोगी ने अभी तक allopathic चिकित्सा आरंभ नही की थी और हमने इसके parents को कह दिया था कि अगर तीन सप्ताह में लाभ ना मिले तो हमारी चिकित्सा का त्याग कर देना, मगर आज रोगी प्रसन्न था, लाक्षणिक लाभ तो मिला ही TSH report भी अनुकूल मिल रही है, अभी हमें T3 और T4 को भी आयुर्वेद सिद्धान्तों पर चलकर within normal limit लाना है। चिकित्सा अब चलती रहेगी और हमेशा की तरह आपको updates भी देते रहेंगे कि TSH,T3 और T4 के रोगियों में किस प्रकार और कहां तक आयुर्वेद सफल है।
👉 संजीवनी वटी वात-कफ कफ नाशक है,
सम्प्राप्ति का विघटन करती है, फिर TSH कम करने में thyroid gland पर भल्लातक का प्रयोग हमारे द्वारा वर्षों से अनुभूत है जो संजीवनी वटी में है ही ।
👉 आरोग्यवर्धिनी हम कुटकी की तीन भावनायें दे कर बनाते है जिस से अनुलोमन और भेदन अच्छा होता है। इस 9 वर्ष के बच्चे का body wt. 20 kg है इसे विरेचन नही दे सकते और स्कूल going है। हर औषध सटीक दी गई तो विबंध भी नही हुआ और report भी अच्छी मिली।
जैसा हमने पहले भी बताया था संजीवनी हम बिना वत्सनाभ के बनाते है तो सुकुमार को भी दे सकते है।
बडो में गौमूत्र हरीतकी खाली पेट शाम को 4 गोली दें और साथ 2-3 gm कुटकी चूर्ण तो, आपके रोगियों में पहले दिन से ही result मिल जायेगा।
👉 संजीवनी में भल्लातक और वत्सनाभ है, हमने इसमें से वत्सनाभ निकाल दिया, भल्लातक और कुटकी का प्रयोग दीर्घ काल निरंतर नही किया जाता। तीन महीने बाद 10 दिन का gap दे दें तो दिल को संतुष्टि रहेगी। वैसे इन औषधियों को single तो दिया नही जाता अन्य औषध के रूप में रसायन द्रव्य साथ चलते ही है ये रोगी बल,काल पर भी निर्भर है तभी कई रोगियों में ग्रीष्म ऋतु में विशेष कर धूप में जाने से भल्लातक सात्म्य नही होता।
वत्सनाभ palpitation कर देता है बिना उसके बनी 3 महीने निश्चिन्त हो कर दे पुन: कुछ दिन ब्रेक दे कर शुरू कर दें ।
TSH सहित T3,T4 विकृति एवं आयुर्वेदीय व्यवस्था ।
case presentation: वैद्य सुभाष शर्मा 9-9-2019
रूग्ण बालक /9 वर्ष / छात्र / wt. 20.3 kg.
प्रमुख वेदना - गल प्रदेश शोथ, स्वर भंग, विषमाग्नि, विबंध
वर्तमान वेदना वृत्त - लगभग एक वर्ष से आलस्य,गौरव, प्रतिश्याय बार बार, कभी मंदाग्नि एवं कभी अति क्षुधा और भोजन ना मिलने पर क्रोध, 2-3 दिन तक भी कभी मल त्याग ना होना, स्वर गुरूता आदि लक्षण पाये जा रहे थे।
पूर्व व्याधि वृत्त - जब बालक लगभग चार वर्ष का था तो पांडुरोग था।
कुल वृत्त - माता पिता स्वस्थ हैं।
परीक्षण - मात्र गल प्रदेश शोथ।
जैसा कि हमने लिखा था, बाल्यावस्था और वो भी 9 वर्ष में बच्चे विकसित अवस्था में होते है, अत: सार,संहनन,सत्वादि परीक्षा को हम आवश्यकता पड़ने पर ही प्राथमिकता देते हैं।
रोग हेतु - मिथ्या एवं अनियमित आहार जिनमें मैदायुक्त पदार्थ जिनमें भठूरा, pizza,burger, pasta, maggi etc, ice cream, shakes, chocolates आदि का अधिक प्रयोग मिला।
सम्प्राप्ति घटक - दोष: वात - उदान,समान और अपान वात,
पित्त - पाचक पित्त, कफ - क्लेदक और अवलंबक
दूष्य - रस धातु
स्रोतस - रस, मांस और मेद
अग्नि - जाठराग्नि और धात्वाग्नि
दुष्टि - संग
उद्भव स्थान - आमाशय
अधिष्ठान - गल प्रदेश
स्वभाव - कृच्छ साध्य
चिकित्सा सूत्र - पाचन, कंठ्य, अनुलोमन, भेदन, शोथघ्न,।कफ वात शमन और रसायन ।
चिकित्सा योजना :
1.. संजीवनी वटी 1 bd
2.. कांचनार गुग्गलु 1 bd
3.. गुडूची घन वटी 1 bd
4.. आरोग्य वर्धिनी 1 गोली + गौमूत्र हरीतकी 1 गोली रात्रि सोते समय
5.. लवंगादि वटी दिन में दो बार चूसने के लिये।
अभी हमारा पूरा ध्यान TSH सामान्य लाने पर केन्द्रित है,लगभग 22 दिन में इसी चिकित्सा से परिणाम इस प्रकार मिले...
6-8-2019, TSH 163.84 uIU/ml
30-8-2019, TSH 57.21 uIU/ml
रोगी ने अभी तक allopathic चिकित्सा आरंभ नही की थी और हमने इसके parents को कह दिया था कि अगर तीन सप्ताह में लाभ ना मिले तो हमारी चिकित्सा का त्याग कर देना, मगर आज रोगी प्रसन्न था, लाक्षणिक लाभ तो मिला ही TSH report भी अनुकूल मिल रही है, अभी हमें T3 और T4 को भी आयुर्वेद सिद्धान्तों पर चलकर within normal limit लाना है। चिकित्सा अब चलती रहेगी और हमेशा की तरह आपको updates भी देते रहेंगे कि TSH,T3 और T4 के रोगियों में किस प्रकार और कहां तक आयुर्वेद सफल है।
👉 संजीवनी वटी वात-कफ कफ नाशक है,
सम्प्राप्ति का विघटन करती है, फिर TSH कम करने में thyroid gland पर भल्लातक का प्रयोग हमारे द्वारा वर्षों से अनुभूत है जो संजीवनी वटी में है ही ।
👉 आरोग्यवर्धिनी हम कुटकी की तीन भावनायें दे कर बनाते है जिस से अनुलोमन और भेदन अच्छा होता है। इस 9 वर्ष के बच्चे का body wt. 20 kg है इसे विरेचन नही दे सकते और स्कूल going है। हर औषध सटीक दी गई तो विबंध भी नही हुआ और report भी अच्छी मिली।
जैसा हमने पहले भी बताया था संजीवनी हम बिना वत्सनाभ के बनाते है तो सुकुमार को भी दे सकते है।
बडो में गौमूत्र हरीतकी खाली पेट शाम को 4 गोली दें और साथ 2-3 gm कुटकी चूर्ण तो, आपके रोगियों में पहले दिन से ही result मिल जायेगा।
👉 संजीवनी में भल्लातक और वत्सनाभ है, हमने इसमें से वत्सनाभ निकाल दिया, भल्लातक और कुटकी का प्रयोग दीर्घ काल निरंतर नही किया जाता। तीन महीने बाद 10 दिन का gap दे दें तो दिल को संतुष्टि रहेगी। वैसे इन औषधियों को single तो दिया नही जाता अन्य औषध के रूप में रसायन द्रव्य साथ चलते ही है ये रोगी बल,काल पर भी निर्भर है तभी कई रोगियों में ग्रीष्म ऋतु में विशेष कर धूप में जाने से भल्लातक सात्म्य नही होता।
वत्सनाभ palpitation कर देता है बिना उसके बनी 3 महीने निश्चिन्त हो कर दे पुन: कुछ दिन ब्रेक दे कर शुरू कर दें ।
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